लेखनी प्रतियोगिता -18-Feb-2022 - गुलशन
भंवरा भी मदहोश हुआ जाता हैं,
गुलशन में गुल जब खिल जाता हैं |
खुशबू हर तरफ फैलती जाती हैं,
बागों में कलियां मुस्कुराती जाती हैं |
तितली उड़ उड़ कर रसपान करें ,
कोयल भी सुंदरता का गुणगान करें |
रिमझिम फुहारों से और महकता हैं,
गुलशन खिला देख मन बहकता हैं |
जब कलरव होता पंछियों का वहांँ,
दिल अपना चंचल सा मचलता यहांँ |
पेड़ पौधों की रौनक होती चारों तरफ,
मन मयूर सा नाचता रहता हर तरफ |
ठंडक का होता हैं हवा में एहसास ,
जैसे बर्फ गिरती हो कहीं आसपास |
सावन में बागों की बात कुछ और होती,
खिलती हुई कलियों की बहार होती |
गुलशन गुलज़ार जब हुआ जाता हैं,
चित्तचोर बनकर मन लुभा जाता हैं |
पतझड़ का भी मौसम यह झेलता,
लुका छुपी जैसा खेल भी यह खेलता |
जीवन भी सबका होता गुलशन जैसा ,
मुस्कुराते चेहरे पर ओढ़े नकाब जैसा |
गुलशन को भी पता चल जाता हैं,
प्रेम का आंचल जब भी लहराता हैं |
नई कोपलें फिर से फूटती तुम देखो ,
गुलशन में रंगों की बहार तुम देखो ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Abhinav ji
19-Feb-2022 09:16 AM
Very nice
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Shrishti pandey
19-Feb-2022 08:36 AM
Nice
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Punam verma
19-Feb-2022 07:56 AM
Nice
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